असम: NRC से बचे? पर नहीं कम होंगी मुसीबतें
गुवाहाटी असम के लोगों का लंबे समय से चला आ रहा इंतजार आज खत्म होने जा रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की 'अंतिम' सूची जारी करने जा रही है। सूची आने से पहले लोगों की सांसें थमी हुई हैं। एनआरसी की अंतिम सूची आने से ठीक पहले शुक्रवार को राज्य सरकार ने कहा कि अभी आधा ही काम पूरा हुआ है और हमने 'विदेशियों की पहचान करने और उन्हें बाहर करने' के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था पर काम करना शुरू कर दिया है। असम के वित्त मंत्री और बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ने कहा, 'अब इस बात पर बहस का कोई बिंदु नहीं है कि कौन सूची में अंदर है और कौन बाहर होगा। (सूची में) जिन लोगों को बाहर रखा जाएगा, वे न तो भारतीय होंगे और न ही विदेशी। केवल प्राधिकरण ही इसे बता सकेंगे। अंतिम संख्या प्राधिकरण मुहैया कराएंगे और हमने अभी इस पर फोकस कर रखा है।' शर्मा ने कहा कि बीजेपी ने तब से ही एनआरसी को 'एक राष्ट्रीय दस्तावेज' के रूप में देखना बंद कर दिया है, जब से साउथ सालमारा और धुब्री जिलों की केवल 6 फीसदी जनसंख्या को एनआरसी के दो मसौदों से बाहर रखे जाने का पता चला। बता दें कि ये दोनों ही जिले बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं और मुस्लिम बहुल हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल काबी आंगलांग जिले में सालमारा और धुब्री जिलों से ज्यादा 16 फीसदी लोगों को एनआरसी से बाहर रखा गया जो असामान्य है। आरएसएस से जुड़े संगठनों ने लिस्ट की जांच की मांग की इस आंकड़े के आने के बाद संघ परिवार से जुड़े संगठनों ने पहले ही फाइनल लिस्ट जारी करने से पहले उसमें शामिल लोगों की फिर से पुष्टि करने की मांग कर दी है। शर्मा ने कहा, 'शनिवार का दिन हमारे लिए केवल एक चरण का अंत है। हम दिसपुर और दिल्ली दोनों ने मिलकर अवैध विदेशियों को बाहर निकालने के लिए एक अतिरिक्त तरीके पर विचार करना शुरू कर दिया है।' इससे पहले शुक्रवार को असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि शनिवार को प्रकाशित होने जा रही अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जो लोग छूट गए हैं उनकी चिंताओं पर राज्य सरकार ध्यान देगी और सुनिश्चित करेगी कि किसी का 'उत्पीड़न' नहीं हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक अपीलकर्ता की याचिका विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में विचाराधीन है तब तक उन्हें विदेशी नहीं माना जा सकता। इसलिए उन्होंने राज्य में बराक, ब्रह्मपुत्र, पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों के लोगों से अपील की कि अमन बनाए रखें और परिपक्व समाज की मिसाल पेश करें। सीएम सोनोवाल ने जनता को दिया भरोसा सोनोवाल ने यह भरोसा भी दिलाया कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं, उन्हें अपील दाखिल करने का मौका मिलेगा और केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में उनका पक्ष सुना जाएगा। उन्होंने कहा, 'एफटी में अपील दाखिल करने की समयावधि 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन करने से सूची से छूट गए सभी लोगों को एक समान अवसर मिलेगा।' उन्होंने कहा कि एनआरसी हजारों लोगों के अथक प्रयासों का नतीजा है और असम की जनता के बिना शर्त समर्थन के कारण यह संभव हो पाया है। उधर, दिल्ली में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सोमवार को विदेशियों के लिए 200 और प्राधिकरण बनाए जाएंगे ताकि एनआरसी में शामिल होने से छूटने पर लोग आसानी से अपील कर सकें। अभी 100 प्राधिकरण काम कर रहे हैं और केंद्रीय गृह मंत्राालय इसकी संख्या बढ़ाकर 500 करना चाहता है। सूत्रों ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने का समय तीन साल तय किया गया है। क्या है एनआरसी
- एनआरसी किसी भी राज्य में वैध तरीके से रह रहे नागरिकों का रिकॉर्ड है। पहली बार एनआरसी 1951 में तैयार की गई थी.
- 1980 के आसपास असम में अवैध विदेशी लोगों की बढ़ती गतिविधियों के बाद एनआरसी को अपडेट करने की मांग तेज हुई.
- ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम गण परिषद की तरफ से एनआरसी के नवनीकरण की मांग को लेकर 1980 में केंद्र को एक ज्ञापन सौंपा गया। बांग्लादेश से असम आ रहे अवैध अप्रवासियों से असम की संस्कृति की रक्षा करने के लिए यह ज्ञापन सौंपा गया था।
- वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में एनआरसी को अपडेट करने का निर्णय लिया गया।
- वर्ष 2010 में एनआरसी को अपडेट करने के पायलट प्रॉजेक्ट को तब अचानक रोक देना पड़ा जब असम के बारपेटा जिले में इसे लेकर एक हिंसक प्रदर्शन के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए.
- इसके बाद वर्ष 2015 में आवेदन मांगे गए थे। इस दौरान करीब 6.6 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से असम के 3.29 करोड़ लोगों ने अपना नाम दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था।
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