असम: NRC लिस्ट जारी, 19 लाख हुए बाहर
गुवाहाटी असम सरकार ने (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 19 लाख लोग अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजारिका ने बताया कि कुल 3,11,21,004 लोग इस लिस्ट में जगह बनाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट से 19,06,657 लोग बाहर हो गए हैं। एनआरसी बाहर से किए गए लोगों को अब तय समय सीमा के अंदर विदेशी न्यायाधिकरण के सामने अपील करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक एनआरसी की अंतिम सूची जारी करने की अंतिम समय सीमा तय की थी। एनआरसी लिस्ट को बनाने की प्रक्रिया 4 साल पहले शुरू हुई थी और सरकार ने तय समय के भीतर यह सूची जारी कर दी है। फाइनल लिस्ट को वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकता है। कुल 3,30,27,661 लोगों ने एनआरसी में शामिल करने के लिए आवेदन दिया था। इसमें से 3,11,21,004 को एनआरसी में जगह दी गई। बता दें कि इस प्रकाशन से भारतीय नागरिकों की पहचान के साथ ही बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की भी पहचान होगी। इससे पहले जब मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ था, तब 40.7 लाख लोगों को इससे बाहर रखा गया था, जिस पर देशभर में काफी विवाद हुआ था। राजनीतिक दलों द्वारा गलत तरीके से लोगों को एनआरसी में शामिल करने या निकाले जाने के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद अब आज इसे सार्वजनिक कर दिया गया। उधर, सूची के प्रकाशन को देखते हुए असम प्रशासन ने गुवाहाटी सहित संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि कार्यालयों में सामान्य कामकाज, आमजनों और यातायात की सामान्य आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है। राज्य सरकार ने लोगों को आश्वस्त भी किया है कि जिन लोगों के नाम शामिल नहीं होंगे, उनके पास आगे विकल्प रहेगा। राज्य सरकार के आश्वासन से पहले ही असम में करीब 41 लाख लोगों में एनआरसी प्रकाशन से पहले ही चिंता व्याप्त है। माहौल बिगाड़ने की कोशिश पर होगी कार्रवाई: डीजीपी असम के पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने कहा है कि हम पब्लिक तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करे तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाए।' पुलिस प्रमुख ने कहा कि राज्य में एनआरसी अपडेशन का विशाल काम पिछले कुछ समय से चल रहा है और पुलिस नागरिक समितियों की मदद से भयंकर चुनौतियों के आलोक में कानून व्यवस्था प्रभावी तरीके से बनाए रखने में कामयाब रही है। सोमवार से संचालित होंगे 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण असम में सोमवार से करीब 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण काम करेंगे जहां वे नागरिक अपना पक्ष रख सकते हैं जिनके नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची में नहीं हैं। असम सरकार केंद्र की सहायता से इन विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) का गठन कर रही है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'फिलहाल 100 विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं। एक सितंबर से कुल 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण पूरे असम में काम करना शुरू कर देंगे।' अंतिम एनआरसी में प्रवेश पाने वालों को ही मिलेगा आधार अधिकारियों ने बताया कि मसौदा एनआरसी में जिन लोगों का नाम शामिल नहीं था, उन्हें अंतिम एनआरसी सूची में जगह मिल गई तो उनके आधार कार्ड जारी किए जाएंगे। एनआरसी अधिकारियों ने 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदा एनआरसी में जगह नहीं बना पाए ऐसे 36 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डेटा लिया है जिन्होंने भारतीय नागरिकता का दावा किया था। इस बायोमीट्रिक डेटा की वजह से आधार कार्ड बनाना संभव हो सकेगा। एनआरसी में अंतिम रूप से अपना नाम नहीं जुड़वा पाने वाले लोग अगर कानूनी प्रक्रिया के पालन के बाद भी अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाते हैं तो वे देश में कहीं से भी अपना आधार कार्ड नहीं बनवा सकेंगे क्योंकि उनके बायोमीट्रिक्स के आगे निशान बना होगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'एनआरसी दावों की प्रक्रिया के दौरान लिए गए बायोमीट्रिक डेटा यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन लोगों ने अंतिम एनआरसी में जगह बना ली है वे आधार पाएं और जो अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं कर सके वे देश में कहीं इसे न बनवा पाएं।' जब मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुई थी तब 40.7 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिलने पर काफी विवाद हुआ था। इस मसौदे में कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.9 करोड़ के नाम शामिल थे। क्या है एनआरसी
- एनआरसी किसी भी राज्य में वैध तरीके से रह रहे नागरिकों का रिकॉर्ड है। पहली बार एनआरसी 1951 में तैयार की गई थी.
- 1980 के आसपास असम में अवैध विदेशी लोगों की बढ़ती गतिविधियों के बाद एनआरसी को अपडेट करने की मांग तेज हुई.
- ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम गण परिषद की तरफ से एनआरसी के नवनीकरण की मांग को लेकर 1980 में केंद्र को एक ज्ञापन सौंपा गया। बांग्लादेश से असम आ रहे अवैध अप्रवासियों से असम की संस्कृति की रक्षा करने के लिए यह ज्ञापन सौंपा गया था।
- वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में एनआरसी को अपडेट करने का निर्णय लिया गया।
- वर्ष 2010 में एनआरसी को अपडेट करने के पायलट प्रॉजेक्ट को तब अचानक रोक देना पड़ा जब असम के बारपेटा जिले में इसे लेकर एक हिंसक प्रदर्शन के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए.
- इसके बाद वर्ष 2015 में आवेदन मांगे गए थे। इस दौरान करीब 6.6 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से असम के 3.29 करोड़ लोगों ने अपना नाम दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था।
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