असम: NRC की उल्टी गिनती, 10 बड़ी बातें
गुवाहाटी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद मोदी सरकार 2.0 की एक और बड़ी योजना पर शनिवार को फैसला आने वाला है। असम में भारतीय और विदेशी नागरिकों की पहचान वाले को शनिवार सुबह 10 बजे प्रकाशित किया जाना है। असम के लोग इंटरनेट के जरिए रजिस्टर में अपनी स्थिति के बारे में जान सकेंगे। 41 लाख लोगों की किस्मत का होगा फैसला! जिनके पास यह सुविधा नहीं होगी वह जन सुविधा केंद्रों की मदद ले सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले साल पब्लिश की गई की पहली सूची में 41 लाख लोगों के नाम रजिस्टर में दर्ज नहीं थे। हालांकि, सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया है कि एनआरसी में नाम न होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं। हर किसी को अपनी नागरिकता सिद्ध करने का पूरा मौका दिया जाएगा। आइए, जानते हैं इस मुद्दे की 10 बड़ी बातें- 10 महत्वपूर्ण बातें 1. केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक, एनआरसी से बाहर होने वाले लोगों को तुरंत विदेशी नहीं घोषित किया जाएगा। उनके लिए सभी कानूनी रास्ते खुले होंगे। ऐसे लोग जो एनआरसी से बाहर होंगे वे फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल में अपील कर सकेंगे। केंद्र ने अपील करने की सीमा को बढ़ाकर 60 से 120 दिन कर दिया है। 2. सरकार ने बताया कि एनआरसी से बाहर होने वाले लोगों के मामले की सुनवाई के लिए एक हजार ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे। इनमें से 100 वर्तमान में निर्मित हो चुके हैं और 200 सितंबर के पहले हफ्ते में तैयार हो जाएंगे। सरकार ने कहा है कि जो लोग ट्राइब्यूनल में केस हार जाएंगे, उनके पास हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प होगा। साथ ही इस दौरान किसी को डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा जाएगा। 3. एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन से पहले असम में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है। केंद्र सरकार ने राज्य में इसके लिए 20 हजार से ज्यादा अतिरिक्त पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया है। वहीं गुवाहाटी और बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। 4. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों को सुरक्षा के मद्देनजर आश्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। सभी का ख्याल रखने के लिए सरकार मौजूद है। उन्होंने कहा कि जो लोग एनआरसी से बाहर होंगे, उन्हें भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। अपनी नागरिकता को सिद्ध करने के लिए उन्हें पर्याप्त मौके दिए जाएंगे। 5. एनआरसी से बाहर होने वाले लोगों को केंद्र सरकार की ओर से कानूनी सहायता दी जाएगी। बीजेपी और कांग्रेस ने इस मद्देनजर कुछ ऐसे लोगों की सहायता करने का प्लान बनाया है जिनका नाम नागरिकता रजिस्टर में नहीं है। कई स्वयं सहायता समूह भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। 6. असम के कई बीजेपी नेताओं ने कुछ बंगाली हिंदुओं के एनआरसी से बाहर होने पर चिंता जताई है। वहीं सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने अमित शाह से मुलाकात कर मांग की है कि केंद्र सरकार एनआरसी से विदेशी लोगों को बाहर करे और जो भारतीय नागरिक रजिस्टर में दर्ज होने से रह गए हैं उन्हें सूची में शामिल करे। 7. सूत्रों की माने तो बीजेपी एनआरसी से भारी मात्रा में बंगाली हिंदुओ के बाहर होने को लेकर चिंतित है। बताया जा रहा है कि असम के 18 प्रतिशत बंगाली हिंदू बीजेपी को सपोर्ट करते हैं और हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी को 14 में से 9 सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। 8. नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला प्रकाशन असम में साल 1951 में किया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अब इसे अपडेट किया जा रहा है ताकि असम में रह रहे भारतीयों को बांग्लादेशी शरणार्थियों से अलग किया जा सके। 9. एनआरसी को लेकर विपक्ष के अलावा सत्ताधारी बीजेपी के अंदर से भी असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। बीजेपी के फायरब्रांड बंगाली हिंदू नेता सिलादित्य देव ने कहा कि एनआरसी कोऑर्डिनेटर्स साल 1971 से पहले पलायन कर आने वाले हिंदू विस्थापितों के लिए उतने उत्सुक नहीं हैं जितने 1971 के बाद राज्य में आए मुस्लिम प्रवासियों को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी एक दस्तावेजी प्रक्रिया है और जो मैनेज कर सकता होग, उसे इसमें जगह मिल जाएगी। 10. असम पुलिस ने प्रदेश के लोगों से अफवाहों पर भरोसा न करने की अपील की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए बताया कि कुछ तत्व लोगों नें कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।
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