नया सिस्टम: आर्मी अफसरों के प्रमोशन के बढ़ेंगे मौके

नई दिल्ली आर्मी के पिरामिड स्ट्रक्चर (नीचे ज्यादा, ऊपर कम) की वजह से लेफ्टिनंट कर्नल के बाद प्रमोशन के मौके बहुत कम हो जाते हैं लेकिन अब सेना नए सिस्टम पर काम कर रही है। इससे प्रमोशन के मौके बढ़ेंगे। आर्मी इस तरह का नया सिस्टम बना रही है जिसमें अगर कर्नल या उससे ऊपर के रैंक में कोई भी पोस्ट खाली होती है तो उसमें उसी बैच के अधिकारी को प्रमोशन दिया जाएगा। अब तक यह दूसरे बैच में ट्रांसफर होती रही है। बदलेगा नॉन इंपेनल्ड का सिस्टम सेना के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आर्मी नॉन इंपेनल्ड का सिस्टम बदलने पर काम कर रही है। नॉन इंपेनल्ड का मतलब वे ऑफिसर्स हैं जिन्हें कर्नल या इससे ऊपर के सिलेक्ट रैंक में प्रमोट नहीं किया जाता क्योंकि ऊपर के रैंक में वेकंसी काफी कम होती हैं। अभी अगर लेफ्टिनंट कर्नल से कर्नल बनने के लिए किसी साल 100 ऑफिसर्स का बोर्ड होता है और कर्नल रैंक पर 10 वेकंसी ही हैं तो इन 100 में से 10 ऑफिसर्स का ही बोर्ड अप्रूव्ड माना जाता है और बाकी के 90 ऑफिसर्स को नॉन इंपेनल्ड माना जाता है। पढ़ें, आर्मी अब ऐसा सिस्टम बनाने पर काम कर रही है जिसमें अगर 100 अधिकारियों का बोर्ड है और ऊपर के रैंक पर 10 वेकंसी हैं तो 10 ऑफिसर्स तो इंपेनल्ड होंगे (जिनका प्रमोशन होगा) और बाकी योग्य ऑफिसर्स को भी इंपेनल्ड सब्जेक्ट टू वेकंसी (यानी जगह खाली होने पर प्रमोशन) माना जाएगा। कुछ ऐसे होंगे जो नॉन इंपेनल्ड होंगे। उन्होंने कहा कि इससे ऑफिसर्स का मोटिवेशन बढ़ेगा और उन्हें पता होगा कि आर्मी उनकी योग्यता को जानती है। उसी बैच वालों को प्रमोशन अभी अगर किसी रैंक के लिए इंपेनल्ड (प्रमोशन के लिए अप्रूव्ड) अधिकारी की जगह किसी भी वजह से खाली हो जाती है तो फिर वह पद अगले बैच को ट्रांसफर हो जाता है लेकिन नए सिस्टम में अगर जगह खाली होती है तो उसमें इंपेनल्ड सब्जेक्ट टू वेकंसी वाले अधिकारी को प्रमोशन दे दिया जाएगा। तब आर्मी को सरकार के पास दोबारा नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि तब इंपेनल्ड सब्जेक्ट टू वेकंसी वाले अधिकारी पहले से ही बोर्ड में अप्रूव्ड होंगे। पढ़ें, किसी फील्ड के एक्सपर्ट को फायदा इस पर भी काम किया जा रहा है कि अगर कोई अधिकारी किसी एक फील्ड में एक्सपर्ट है तो उसका एक जगह पर कार्यकाल 3 साल से ज्यादा 5-6 साल तक भी किया जा सकता है। अभी एक जगह पर अधिकतम 3 साल तक ही रह सकते हैं। आर्मी के सीनियर अधिकारी के मुताबिक, इसके पीछे सोच यह है कि अधिकारी ने अगर किसी फील्ड में पकड़ बनाई है तो उसे फायदा देना चाहिए।


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