अयोध्या: हिंदू पक्ष की सुनवाई पूरी, पढ़ें हर दलील

नई दिल्ली में अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर रोजाना सुनवाई चल रही है। इसके 16 दिन बीत चुके हैं। शुक्रवार को हिंदू पक्ष की दलीलों का आखिरी दिन था। हिंदू पक्ष की तरफ से निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान ने पक्ष रखा। अबतक हिंदू पक्ष के विभिन्न वकीलों ने राम जन्मभूमि के पक्ष में क्या-क्या कहा यहां विस्तार से पढ़ें 16वां दिन: शिया वक्फ बोर्ड ने कही बड़ी बात () शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने को तैयार है जो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम संगठनों को आवंटित किया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई पूरी की। इसके बाद शिया बोर्ड ने पीठ के समक्ष कहा कि बाबर का कमांडर मीर बकी शिया मुस्लिम था और बाबरी मस्जिद का पहला मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) था। 15वां दिन: 'बाबर की भूमिका की छानबीन हो' () ने गुरुवार को एक हिंदू संस्था की एक मांग को समस्या वाला बताया। दरअसल कोर्ट से मांग की गई थी कि करीब 500 साल के बाद इस बात की न्यायिक तरीके से छानबीन की जाए कि क्या मुगल शासक बाबर ने अयोध्या में विवादित ढांचे को ‘अल्लाह’ को समर्पित किया था ताकि यह इस्लाम के तहत वैध मस्जिद बन सके। 'अखिल भारतीय श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति' के वकील ने सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहकर गलती की कि वह इस मामले में नहीं जाएगा कि क्या बाबर ने बिना 'शरिया' 'हदीस' और अन्य इस्लामिक परंपराओं का पालन किए मस्जिद का निर्माण कराया। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'अगर हम बाबर द्वारा मस्जिद के तौर पर जमीन के इस्तेमाल की न्यायिक वैधता के बारे में पूछते हैं तो यह थोड़ी समस्या वाली बात है।' पीठ ने कहा कि मुसलमान दावा करते रहे हैं कि वे 400 साल से ज्यादा समय से नमाज अदा कर रहे हैं और हिंदू कहते हैं कि वे पिछले दो हजार साल से पूजा करते आ रहे हैं और दलील यह है कि अदालतों को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि क्या शासक का कृत्य अवैध है। 14वां दिन: 'बाबर नहीं औरंगजेब ने तोड़ा मंदिर' () अयोध्या के और जमीन विवाद मामले में हुई 14वें दिन की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार के वकील ने कहा कि बाबरनामा में कहीं भी जिक्र नहीं है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनावाई थी, मीर बाकी नामक किसी शख्स का जिक्र नहीं है। दरअसल ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई। गौरतलब है कि मुस्लिम पक्षकार की ये दलील है कि मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। राम मंदिर पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने संवैधानिक बेंच के सामने 14वें दिन दलील पेश की। 13वां दिन: बाबर के अयोध्या आने पर सवाल () अयोध्या मामले में मंगलवार को 13वें दिन की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पी एन मिश्रा ने 'स्कंद पुराण' और 'अयोध्या महात्म्य' जैसे शास्त्रों और अन्य उल्लेखों के आधार पर दलीलें शुरू कीं। यह समिति एक मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल पक्ष में प्रतिवादी है। उन्होंने कहा कि बाबर कभी अयोध्या नहीं आया और उसने किसी मस्जिद या अन्य किसी चीज का निर्माण नहीं कराया। मीर बाकी नाम का कोई शख्स नहीं था, जिसे बाबर का कथित सेनापति और मस्जिद का निर्माता बताया जाता है। हमारा पक्ष है कि हम पुराकाल से वहां उपासना कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हमारे दो बिंदु हैं। पहला तो बाबर ने इसका निर्माण नहीं कराया और दूसरा कि तीन गुंबद वाले ढांचे को मस्जिद नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें मस्जिद की विशेषताएं नहीं थीं।' 12वां दिन: निर्मोही अखाड़े ने दी ये दलीलें ( ) 12 वें दिन सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा के वकील ने दलील पेश की। इस दौरान निर्मोही अखाड़ा ने दलील दी कि हम देव स्थान का मैनेजमेंट करते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं। अखाड़ा के वकील ने कहा, जन्मस्थान का पजेशन न तो देवता के नेक्स्ट फ्रेंड दो दिया जा सकता है न ही पुजारी को। यह केवल जन्मस्थान के कर्ता-धर्ता को दिया जा सकता है और निर्मोही अखाड़ा जन्मस्थान का देखरेख करता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुई बहस को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है। 11वें दिन क्या हुआ ( ) निर्मोही अखाड़े ने कहा कि हमारा दावा टाइटल पर नहीं है। हमारा दावा जन्मस्थान पर स्थित मंदिर की देखरेख और पजेशन का है। जन्मभूमि के कर्ता-धर्ता के तौर पर हमारा दावा कभी भी देवता के खिलाफ नहीं है। निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने कहा कि हम देवस्थान के मैनेजर यानी देखरेख करने वाले दावेदार हैं। पजेशन पर हमारा अधिकार है। हमसे जन्मस्थान का पजेशन ले लिया गया। यह हमारे अधिकार में दखल है। उन्होंने आगे कहा कि 1934 से वहां मुस्लिम नहीं आते थे और न ही रोजाना नमाज पढ़ते थे। खेती की जमीन की तरह यहां की जमीन के मालिकाना हक की बात नहीं है। अखाड़े के वकील ने कहा कि अयोध्या बहुत बड़ा शहर है। जन्मस्थान रामपुर में स्थित है। मंदिर भी रामपुर में ही है। इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने पूछा कि आपका असल में दावा क्या है। अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि हम रामपुर में रामजन्म स्थान पर दावा करते हैं। देवस्थान के मैनेजर यानी देखरेख करने वाले का दावा कभी भी देवता के विपरीत नहीं देखा जा सकता है। बेंच ने इस पर टिप्पणी की कि आप तो देवता के दावे पर प्रतिवाद कर रहे हैं। तब सुशील जैन ने कहा कि हमारा दावा पजेशन को लेकर है। पोजेशन देवता के दोस्त (देवता की ओर से उसके नेक्स्ट फ्रेंड दावा करते हैं) को नहीं दिया जा सकता, बल्कि सिर्फ देवस्थान के मैनेजर यानी देखरेख करने वाले को दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देवता की ओर से दावा 1989 में आया है। हमारा पजेशन 1934 से वहां रहा है। हमारी दलील है कि अगर देवता के फेवर में आदेश आता है, तो उसका पजेशन देवस्थान के मैनेजर यानी हमें दिया जाए। 10वें दिन की सुनवाई में क्या हुआ ( ) पुजारी गोपाल दास की ओर से पेश सीनियर वकील रंजीत कुमार ने कहा कि वह मूल पक्षकार हैं और उन्हें जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है और ये उनसे नहीं छीना जा सकता। उन्होंने मुस्लिम गवाह के बयान का हवाला देकर कहा था कि मस्जिद बनने के बाद भी हिंदुओं ने पूजा करना नहीं छोड़ा। वकील ने कहा कि 1934 के बाद वहां नमाज नहीं पढ़ी गई, लेकिन मस्जिद बनने के बाद भी वहां हिंदुओं ने पूजा करना नहीं छोड़ा था। 9वां दिनः रामलला के वकील बोले- मंदिर अपने आप में भगवान () अयोध्या मामले के 10वें दिन की सुनवाई में रामलला की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थल अपने आप में एक देवता है और कोई भी महज मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा कर इस पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि हिन्दुओं ने राम जन्म स्थान पर हमेशा पूजा-अर्चना के अधिकार का दावा किया है और इसलिए यह प्रतिकूल कब्जे का मामला नहीं हो सकता। इसके अलावा उन्होंने विवादित भूमि पर मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा के दावे को भी खारिज कर दिया। 8वां दिन: हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र अयोध्या मामले में सुनवाई के 9वें दिन रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी। उन्होंने अपनी दलीलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जज ने खुद लिखा है कि भगवान राम का मंदिर ढहाकर मस्जिद बनाइ गई। वैद्यनाथ ने एक पत्रकार के क्रॉस एग्जामिन का जिक्र भी किया। उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई के निष्कर्षों से भी पता चलता है कि यहां एक विशाल मंदिर था, विवादित स्थल पर मस्जिद या तो मंदिर के अवशेष पर बनी थी या मंदिर को गिराकर बनाई गई थी। सोमवार को नहीं हुई सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर सोमवार को सुनवाई नहीं हुई। पता चला कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के किसी अत्यावश्यक काम में फंसे होने के कारण सुनवाई नहीं हो पाई। सूत्र ने स्पष्ट किया कि पीठ के सभी पांच जज सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे और कुछ गलतफहमी थी कि न्यायमूर्ति एस ए बोबडे आज उपलब्ध नहीं थे। अधिकारियों ने कहा कि न्यायमूर्ति बोबडे दिन भर अपने चैंबर में काम कर रहे थे। सातवां दिन: हिंदू पक्ष ने एएसआई रिपोर्ट का दिया हवाला () अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सातवें दिन सुनवाई के दौरान राम लला विराजमान के वकील ने दावा किया कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे मंदिर का बहुत बड़ा ढांचा था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की रिपोर्ट में साफ है कि वहां नीचे विशाल मंदिर का ढांचा था। उसमें कई पिलर और स्तंभ हैं जो ईसा पूर्व 200 साल पहले के हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि मस्जिद के नीचे जो ढांचा था वह धार्मिक स्ट्रक्चर ही था, इसे साबित करें। छठा दिन: हिंदू पक्ष ने यात्रा वृतांतों, वेद-पुराण का हवाला दिया ( ) सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई के तहत आज आज छठे दिन की सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच पहले हिंदू पक्षों, रामलला विराजमान और सुन रही है। दोनों पक्षकारों ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक के लिए बेंच के सामने कई दलीलें पेश की हैं। आज रामलला विराजमान की तरफ से ऐतिहासिक किताबों, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों और वेद एवं स्कंद पुराण की दलीलें कोर्ट में पेश की गईं। पांचवां दिन: सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षकार से पूछा- आपका एकाधिकार कैसे? ()अयोध्या विवाद पर सुनवाई के पांचवें दिन इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई कि क्या इस विवादित जगह पर पहले कोई मंदिर था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच के सामने पक्षकार रामलला विराजमान की ओर से दलील दी गई कि इलाहाबाद हाई कोर्ट अपने फैसले में कह चुका है कि यहां पहले मंदिर था। मंदिर के अवशेषों पर ही मस्जिद बनी थी। इस जगह की पवित्रता मस्जिद बनने से खत्म नहीं हो सकती। कोर्ट ने सवाल किया कि अगर जमीन पर आपका हक मुस्लिम पक्षकार के साथ साझा है, तब आपका एकाधिकार कैसे है? इस पर, रामलला विराजमान ने कहा कि जमीन कुछ समय के लिए वक्फ बोर्ड के पास जाने से वह मालिक नहीं हो जाता। चौथा दिन: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- रोज सुनवाई में मदद करना मुश्किल अयोध्या मामले में रोजाना सुनवाई के चौथे दिन रामलला विराजमान के वकील के. परासरन ने हिंदू धर्म में भगवान के होने की अहमियत को रेखांकित किया। तर्क दिया कि ईश्वर का निवास हर जगह है। मूर्ति पूजा से लेकर परिक्रमा तक अदालत का ध्यान खींचा गया। कहा गया कि अयोध्या का राम जन्मस्थान इसी मान्यता के तहत पवित्र और पूज्य है। सदियों से वहां पूजा होती रही है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली संवैधानिक बेंच अगली सुनवाई अब मंगलवार को करेगी। मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने सोमवार से शुक्रवार तक रोज सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, 'हमारे लिए ये संभव नहीं है कि हफ्ते में रोज कोर्ट का सहयोग करें। मैं प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं।' इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में रोजाना सुनवाई के आदेश पहले से है। उसी हिसाब से सुनवाई होगी। मिस्टर धवन जब आपकी बारी आएगी और आप हफ्ते के बीच में ब्रेक चाहेंगे तो हम उसका ध्यान रखेंगे। तीसरा दिन: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है? () सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर तीसरे दिन की सुनवाई के दौरान मुख्य पक्षकारों में से एक रामलला विराजमान के वकील से पूछा कि देवता के जन्मस्थान को मामले में कानूनी व्यक्ति के तौर पर माना जा सकता है? क्या जन्मस्थान वादी हो सकता है? इस पर राम लला के वकील ने कहा कि जन्मस्थली भी कानूनी व्यक्ति की तरह है, वह वादी हो सकता है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 16 दिसंबर 1949 को आखिरी बार नमाज पढ़ा गया और क्या यह मामला है कि इसके बाद मूर्ति रखी गई और फिर उन्होंने (मुस्लिमों ने) नमाज नहीं पढ़ा? इस पर रामलला विराजमान के वकील के. परासरण ने कहा, 'नहीं, मुस्लिमों को वहां प्रवेश नहीं था।' दूसरा दिन: SC ने पूछा- किसी अन्य धार्मिक व्यक्तित्व के जन्मस्थान पर कोर्ट में सवाल उठा? अयोध्या विवाद के मुख्य पक्षकारों में से एक रामलला विराजमान की ओर से सुनवाई के दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि भक्तों की अटूट आस्था प्रमाण है कि विवादित स्थल ही राम का जन्मस्थान है। सदियों बाद इसका सबूत कैसे दे सकते हैं। बेंच ने पूछा कि क्या जीसस जैसे किसी अन्य धार्मिक व्यक्तित्व के जन्मस्थान को लेकर ऐसा सवाल किसी कोर्ट में उठा था? वकील ने कहा कि हम पता करके बताएंगे। इससे पहले, कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि क्या आपके पास कुर्की से पहले का राम जन्मस्थान के कब्जे का मौखिक या रेवेन्यू रिकॉर्ड है? जवाब में निर्मोही अखाड़ा की ओर से कहा गया कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें सारे रेकॉर्ड चले गए। पहला दिन: निर्मोही अखाड़े का दावा- मुस्लिम 1934 से विवादित ढांचे से दूर हैं () अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने 6 अगस्त से ऐतिहासिक सुनवाई शुरु हुई।आरएसएस के पूर्व थिंकटैंक केएन गोविंदाचार्य ने सुनवाई की रिकॉर्डिंग की गुहार लगाई, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। सुनवाई शुरू होने पर सबसे पहले मुख्य पक्षकारों में से एक निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलीलें पेश की गईं। अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान बेंच ने रोजाना सुनवाई का फैसला किया है। बेंच के सामने निर्मोही अखाड़ा ने दावा किया कि 1934 से किसी भी मुस्लिम को विवादित ढांचे में प्रवेश नहीं मिला है। हमारा दावा 2.77 एकड़ जमीन पर है। इस जगह पर हमारा एकाधिकार है। अखाड़े की ओर से वकील सुशील जैन ने कहा कि ढांचे का भीतरी बरामदा और राम जन्मस्थान सैकड़ों बरसों से निर्मोही अखाड़े के पास है। बाहरी बरामदे में स्थित सीता रसोई, चबूतरा, भंडार गृह भी हमारे पास हैं। यह कभी किसी मामले में विवाद का हिस्सा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था रजिस्टर्ड है। हमारा केस मूल रूप से इस जमीन के प्रबंधन के अधिकार और पजेशन के लिए है। निर्मोही अखाड़े की दलीलें बुधवार को भी जारी रहेंगी।


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