मुश्किल में अजीत जोगी, जाति पर एफआईआर

रायपुर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के संस्थापक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले हाईपावर छानबीन समिति ने उनको आदिवासी नहीं माना और अब बिलासपुर के थाने में उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। जोगी के पुत्र और विधायक अमित जोगी ने इस पर विरोध दर्ज कराया है। बता दें कि जोगी की को लेकर लंबे अरसे से विवाद चला आ रहा है। जोगी को बीजेपी के शासनकाल में आदिमजाति कल्याण विभाग की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने आदिवासी नहीं माना था। इसके खिलाफ जोगी ने हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने हाईपावर कमिटी अधिसूचित न होने की वजह से इसे विधि अनुरूप नहीं माना था। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने 21 फरवरी, 2018 को फिर से हाईपावर कमिटी का गठित की थी। 'जोगी लाभ के पात्र नहीं' डीडी सिंह सिंह की अध्यक्षता वाली छानबीन समिति ने 23 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी मानने से इनकार कर दिया और उनके सभी जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया। कमिटी ने तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार, बिलासपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर अजीत जोगी ने 21 अगस्त को हाईपावर छानबीन समिति के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए थे। उसके बाद ही समिति का फैसला आया है। समिति ने अपने फैसले पर अमल करने के जिलाधिकारी बिलासपुर को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उसी के आधार पर कलेक्टर कार्यालय के तहसीलदार टीआर भारद्वाज ने गुरुवार रात सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई। थाना प्रभारी कलीम खान के अनुसार, तहसीलदार की शिकायत पर अजीत जोगी के खिलाफ छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण विनियमन) अधिनियम 2013 की धारा 10 (एक) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस प्रकरण की जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी। अमित जोगी ने कहा, 'निरस्‍त हो मेरा भी प्रमाणपत्र' दूसरी ओर, अजीत जोगी को आदिवासी न मानने और गैर जमानती धाराओं में प्रकरण दर्ज कराए जाने का अमित जोगी ने विरोध किया है। जोगी के पुत्र ने सिविल लाइन थाने पहुंचकर अपना जाति प्रमाण-पत्र भी निरस्त करने और उनके खिलाफ भी पिता की तरह प्रकरण दर्ज करने की मांग की। अमित जोगी का कहना है कि जाति को लेकर उनके पास हाईकोर्ट का आदेश है। वहीं, अजीत जोगी ने छानबीन समिति के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर की थी। आयोग के फैसले को दी थी हाईकोर्ट में चुनौती ज्ञात हो कि संतकुमार नेताम ने जोगी के आदिवासी होने पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद आयोग ने अजीत जोगी को नोटिस जारी किया था, जिसे जोगी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग को जाति का निर्धारण करने, जांच करने और फैसला देने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ संतकुमार नेताम सुप्रीम कोर्ट चले गए। सु्प्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। हाईपावर कमिटी ने सभी प्रमाणपत्र किए निरस्‍त सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर, 2011 को फैसला दिया था कि सरकार हाईपावर कमिटी बनाकर अजीत जोगी के जाति प्रकरण का निराकरण करे। इस पर सरकार ने छह सदस्यीय समिति बनाई और इस समिति ने जांच के बाद 27 जून, 2017 को आदेश जारी कर अजीत जोगी के समस्त प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया था। इस समिति के इस फैसले के खिलाफ अजीत जोगी हाईकोर्ट गए, जहां कोर्ट ने हाईपावर कमिटी अधिसूचित न होने की वजह से इसे विधि अनुरूप नहीं माना। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने 21 फरवरी, 2018 को फिर से डीडी सिंह की अध्यक्षता में हाईपावर कमिटी गठित की। इसी कमिटी ने जोगी के खिलाफ निर्णय लिया है।


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