धारा संग बदलती रही संजय सिंह की दिशा
लखनऊ एक दौर में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सियासत का अहम चेहरा रहे, अमेठी के डॉ. ने फिर से कांग्रेस का साथ छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वह पत्नी और ऑल इंडिया प्रफेशनल्स कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमीता सिंह के साथ आज बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। बता दें कि इससे पहले भी सिंह बीजेपी का हिस्सा रह चुके हैं। संजय सिंह के अब तक की सियासी पारी को देखा जाए तो साफ है कि जैसे ही सियासत की धारा बदलती है, उनका भी रास्ता बदल जाता है। इसके पहले भी जब सिंह बीजेपी में गए थे, कांग्रेस अपने बुरे दौर से गुजर रही थी। इस बार भी कमोबेश हालात वैसे ही हैं। संजय सिंह ने पार्टी छोड़ते हुए कहा भी कि कांग्रेस नेतृत्व जीरो है और आज के समय देश प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के साथ है। सिंह ने यह भी कहा कि अगर देश उनके (पीएम मोदी) साथ है तो मैं भी उनके साथ हूं। 1980 में संजय गांधी का किया समर्थन 25 सितंबर 1951 को जन्में अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की। जाहिर है कि यह वह दौर था जब कांग्रेस की हनक देश और और प्रदेश दोनों ही जगह की सियासत में थी। 1980 के लोकसभा चुनाव में डॉ. सिंह ने संजय गांधी का समर्थन किया। वह खुद भी 1980 से 1989 तक कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे। 1990 में कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा इस दौरान प्रदेश सरकार में उन्होंने कई मंत्रालय देखे। वन, पशुपालन और डेयरी, खेल युवा कल्याण के अलावा परिवहन विभाग इनमें शामिल हैं। कांग्रेस ने 1990 में उन्हें राज्यसभा भेजा। 1990 से 1991 में केंद्र सरकार में संचार मंत्री रहे। हालांकि इसके बाद कांग्रेस की स्थित प्रदेश की सियासत में कमजोर होना शुरू हुई। देश में भी स्थिति बीजेपी की तरफ जाती दिखी तो एक दौर ऐसा आया कि डॉ. सिंह बीजेपी के हो गए। 1998 में बीजेपी के टिकट पर पहुंचे लोकसभा 1998 में वह बीजेपी के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे। पर, 1999 में सोनिया के खिलाफ अमेठी से ही जब वह दोबारा चुनाव में उतरे तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सोनिया गांधी से चुनाव हारने के कुछ साल बाद वह दोबारा कांग्रेस में आ गए। अब एक बार फिर कांग्रेस की स्थिति यह है कि मौजूदा समय में प्रदेश से केवल एक ही सांसद जीत सका। अमेठी तक से राहुल गांधी को चुनाव हारना पड़ा। विधायकों की संख्या भी इतनी नहीं कि वे अपना एक प्रतिनिधि राज्यसभा भेज सकें या फिर विधान परिषद पहुंचा सकें। इसलिए सिंह ने बदला पाला! कांग्रेस के सियासी हलकों में भी चर्चा है कि पत्नी के राजनीतिक करियर और राज्यसभा के दूसरे कार्यकाल के जुगाड़ में डॉ. सिंह ने पाला बदलने का फैसला किया है। बता दें कि अमेठी के रहने वाले संजय सिंह अभी असम से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद थे। वहीं उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेनका गांधी के खिलाफ सुल्तानपुर से चुनाव भी लड़ा था। हालांकि उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा।
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