3 तलाक से आजादी, राज्यसभा से भी बिल पास

नई दिल्ली मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो गया है। उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई। बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई। इस विधेयक का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक तीन तलाक को लेकर 21 फरवरी को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले लेगा। इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया। इस बिल को मंजूरी के साथ ही सरकार ने साबित किया कि उसकी फील्डिंग उच्च सदन में खासी मजबूत थी। बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी जैसे कई दलों ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया। राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने के चलते उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था। इससे पहले भी एक बार उच्च सदन से यह विधेयक गिर गया था। इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि हजारों साल पहले पैगंबर ने भी इस पर सख्ती से पाबंदी लगाई थी और उनके जिस बंदे ने ऐसा किया, उससे कहा कि वह अपनी पत्नी को वापस ले। यहां भी लोग कह रहे हैं कि तीन तलाक गलत है, लेकिन...। आखिर यह लेकिन क्या है, इसका मतलब यह है कि तीन तलाक गलत है, लेकिन सब कुछ ऐसे ही चलने दो। रविशंकर प्रसाद ने हिंदू मैरिज ऐक्ट समेत कई कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि 1955 में जब बना तो यह रखा गया कि पति की उम्र 21 साल और पत्नी की 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके उल्लंघन पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया। यदि पत्नी के रहते हुए पति ने दूसरी शादी की या फिर पत्नी ने दूसरा पति कर लिया तो 7 साल की सजा होगी। 55 साल पहले कांग्रेस ने यह किया था और हम इस अच्छे काम के साथ हैं। 'दहेज ऐक्ट पर क्यों नहीं सोचा कैसे चलेगा परिवार' रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 1961 में दहेज के खिलाफ कानून लाने का काम किया था। दहेज लेने पर 5 साल की सजा है और मांगने पर 2 साल की सजा है। 1986 में इसे गैरजमानती अपराध करार दिया गया। उसमें तो नहीं सोचा कि परिवार कैसे चलेगा। यह कानून धर्म की सीमाओं से परे है और सभी पर लागू होता है। यही नहीं, उन्होंने कहा कि आईपीसी में आप 498A लाए, जिसमें पति की क्रूरता पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया। यह कानून 1983 में लाया गाया। इन सभी के लिए आपका अभिनंदन है। इतने प्रगतिशील काम करने वाली आपकी सरकार के कदम 1986 में शाहबानो केस में क्यों हिलने लगे। यह बड़ा सवाल है। शाहबानो से सायराबानो तक वहीं खड़ी कांग्रेसशाहबानो प्रकरण की याद दिलाते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 1986 में दो दिन तक आरिफ मोहम्मद खान का भाषण हुआ था। इतनी हिम्मती कांग्रेस सरकार आखिर दहेज उत्पीड़न के अपराध को गैरजमानती बनाती है और शाहबानो पर पीछे हट गई। 1986 में शाहबानो से लेकर 2019 में सायराबानो तक कांग्रेस आज जस की तस खड़ी है। रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि 1986 में आपकी 400 सीटें आई थीं, उसके बाद 9 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन आप तबसे गिरते ही चले गए। 1986 में शाहबाने के बाद से कांग्रेस गिरती ही चली गई, यह आपके लिए सोचने की बात है।


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