'अमेरिका-चीन ट्रेड समझौता, भारत को होगा लाभ'

सुरोजीत गुप्ता, नई दिल्ली अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति के बीच वॉशिंगटन की तरफ से चीन के ऊपर कोई और नया टैरिफ नहीं लगाने का आश्वासन दिया गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह अच्छी बात है और खास तौर पर भारत के आर्थिक बाजार में चल रही अनिश्चितता की स्थिति को दूर करने के लिए भी यह अच्छी खबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका अच्छा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। जी-20 देशों के बीच हुए समझौते का असर वैश्विक होगा ओसाका में हुई वर्ल्ड में सभी राष्ट्रों के बीच हुए समझौते के बाद ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर पर फिलहाल के लिए तो रोक लग ही गई है। अमेरिका और चीन ने व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए सहमति दे दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति ने आश्वासन भी दिया है कि चीन से आयात होनेवाले उत्पादों पर कोई नया टैरिफ नहीं लगाया जाएगा। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव के कारण वैश्विक बाजार पर काफी प्रभाव पड़ा और इसका असर वैश्विक तौर पर नजर आ रहा था। मार्केट एक्सपर्ट्स ने माना इसे सकारात्मक खबर जेएनयू में प्रफेसर बिस्वजीत धर ने इस मुद्दे पर कहा, 'इस डील के 2 प्रमुख पक्ष हैं। अगर यह समझौता लंबे वक्त तक के लिए जारी रहा तो इसका सकारात्मक प्रभाव भारत के व्यापार पर पड़ेगा। व्यापार में जारी रुकावटों का दौर खत्म होने का असर दिख सकता है।' इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप फिक्की के डेप्युटी सेक्रेटरी मानब मजूमदार ने कहा कि यह एक बहुत सकारात्मक खबर है। लंबे समय तक समझौते के जारी रखने की उम्मीद विशेषज्ञों ने जताई मजूमदार ने उम्मीद जातई कि इस समझौते का असर लंबे समय तक रहेगा। उन्होंने कहा, 'यह एक बहुत सकारात्मक खबर है, लेकिन इसे लंबे समय तक जारी रखने के प्रयास सुनिश्चित किए जाएं। ऐसा न हो कि जो गतिरोध खत्म हुआ है वह सिर्फ कुछ महीनों तक ही रह सके। इस डील का एक अच्छा पहलू यह होगा कि ग्लोबल ट्रेड और निवेश के लिहाज से यह फिर से बाजार में सकारात्मक भावना लेकर आएगा।' प्रफेसर धर ने कहा, 'व्यापार नियमों में आई बाधा का दूर होना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। इससे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में कुछ स्थिरता आएगी और इसका फायदा भारत को भी मिलेगा।' भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार समझौतों पर उन्होंने कहा कि यह कोई एक समझौते से हल होनेवाला मुद्दा नहीं है। दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर कई मसले हैं, जिन्हें किसी एक समझौते के जरिए ही सुलझाया नहीं जा सकता।


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